जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।
कुछ गुजरे हुए से वक्त बिखरे थे वहाँ।
कुछ यादों ने दी दस्तक दिल पर
याद है आज भी वो दिन गुजारे हुए
तेरी बाहों के जो थे सहारे वहाँ
मेरे दिल का वो छूटा फ़साना हुआ।
आज फिर उस शहर मे जाना हुआ
जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।
हर दिन करना बस तेरा इंतजार
हर शाम को तेरे दीदार की तलब
हर राह पे तेरे मिलने की कसक
वो तेरा ज़िंदगी निभाने का करार।
हर शय में तेरी यादों की महक,
लेकर मैं वहाँ से रवाना हुआ।
आज फिर उस शहर में जाना हुआ
जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।
ये शहरों के साथ जो जुड़ी हुई यादेँ होती है ना, वो वाकई में बहुत तकलीफदेह होंती कभी कभी। मैं खुद कई बार इसे महसूस करता हूँ।
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Sahi kaha🤔
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Aaj fir…..love ur post
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Thank you so much Too🙂
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Rao*
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*?
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The too is wrong I want to write thank you so much Rao
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Ohh..it’s OK
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https://thoughts304.wordpress.com/2017/07/08/whats-wrong-with-you-dear/
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Kya baat h, bhut acha likha h aapne👌👌
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Dhanyawad🙂
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Too good!!
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Thank you…Just learning not a master like you 🙂
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