आज फिर…


आज फिर उस शहर में जाना हुआ । 

जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।

कुछ गुजरे हुए से वक्त बिखरे थे वहाँ।

कुछ यादों ने दी दस्तक दिल पर

याद है आज भी वो दिन गुजारे हुए

तेरी बाहों के जो थे सहारे वहाँ

मेरे दिल का वो छूटा फ़साना हुआ।

आज फिर उस शहर मे जाना हुआ 

जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।

हर दिन करना बस तेरा इंतजार

हर शाम को तेरे दीदार की तलब

हर राह पे तेरे मिलने की कसक 

वो तेरा ज़िंदगी निभाने का करार।

हर शय में तेरी यादों की महक,

लेकर मैं वहाँ से रवाना हुआ।

आज फिर उस शहर में जाना हुआ 

जहाँ से आये हमको जमाना हुआ।

13 thoughts on “आज फिर…

  1. ये शहरों के साथ जो जुड़ी हुई यादेँ होती है ना, वो वाकई में बहुत तकलीफदेह होंती कभी कभी। मैं खुद कई बार इसे महसूस करता हूँ।

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